गौरव मिश्रा।
आपको पता है कि जम्मू कश्मीर में अमरनाथ यात्रा कैसे होती है। हजारों की संख्या में पुलिस और सुरक्षा बल की तैनाती रहती है। तब जाकर कहीं यह यात्रा सुरक्षित संपन्न हो पाती है। सभी जानते हैं कि जम्मू कश्मीर का इलाका है, पकिस्तान बॉर्डर नजदीक होने तथा वहां पनप रहे आतंकवाद से सुरक्षा की दृष्टि से वहां हमेशा खतरा बना रहता है। फिर भी कहीं ना कहीं इस यात्रा पर जाने वाले यात्रियों के मन में अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कुछ संशय अंत तक बना रहता है।
अब जरा सोचिये कि अगर हमारे भारत देश के अंदरूनी इलाकों में भी यही हालात होने लगे तो हमें कैसा लगेगा। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं भारत की राजधानी दिल्ली से सटे नया कश्मीर बनते हरियाणा के मेवात इलाके की जहाँ 22 जुलाई 2024 को नूंह जिले के तीन अलग अलग छोर पर बसे भगवान शिव के प्राचीन मंदिरों में श्रावण मास में पूरे हरियाणा प्रदेश और आस पास के इलाकों के हिन्दू भक्तों ने जब इन मंदिरों लिए ब्रजमंडल जलाभिषेक यात्रा की तब आर्थिक रूप विकसित कहे जाने वाले हरियाणा प्रदेश के इस इलाके में यात्रा कर रहे हिन्दू श्रद्धालुओं को भी वही डर झेलना पड़ा जो बाबा अमरनाथ यात्रा के दौरान हिन्दुओं को झेलना पड़ता है। चप्पे चप्पे पर तैनात हरियाणा पुलिस का जवान और सुरक्षा घेरे में रहते हुए हिन्दुओं ने यह यात्रा की। जानकारी के लिए यह भी बता दूँ कि यहाँ मैं जिस इलाके की बात कर रहा हूँ वह इलाका मुस्लिम बाहुल्य है और पिछले साल इसी यात्रा के दौरान यहाँ जमकर उपद्रव हुआ था जिसमें पुलिसकर्मियों समेत करीब आधा दर्जन लोगों की जान गयी थी।
हम यहाँ पर प्रशासन और पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह नहीं खड़ा कर रहे हैं और ना ही उन्हें दोष दे रहे हैं किन्तु इस यात्रा के मद्देनजर स्थानीय पुलिस और प्रशासन ने हिन्दू श्रद्धालुओं पर ऐसे प्रतिबन्ध लगा दिए हैं जिसे देख कर यही प्रतीत होता है यह कोई धर्मिक शोभा यात्रा नहीं बल्कि एक घोषित युद्ध क्षेत्र से युद्ध पीड़ितों का पालयन करवाने के लिए उन्हें सुरक्षा दी जा रही हो। इस धर्मिक यात्रा में प्रशासन के आदेशानुसार ना तो कोई ढोल नगाड़े बजते हैं, ना ही कोई धर्मिक गीत गाया जाता है और ना ही किसी प्रकार के जयकारे लगाने की अनुमति है। क्या भारत देश के हिन्दू समुदाय के लोग पाकिस्तान जैसे इलाके में अपनी शोभा यात्रा निकाल रहे हैं। आखिर ऐसा आदेश पारित करने की क्या जरुरत आन पड़ी। क्या मेवात के मुस्लिम समुदाय का शासन प्रशासन पर इतना अधिक दबाव बन गया कि स्थानीय प्रशासन उनके आगे घुटने टेकने को मजबूर हो गया। क्या जब देश में मुहर्रम के समय ताजिया निकलता है और वो अगर हिन्दू इलाके से गुजरता है तो भी क्या कभी ऐसे देखने को मिलता है।
जिस प्रकार से शोभा यात्रा के पूरे रुट को पुलिस छावनी में तब्दील किया गया उसे देखते हुए मेवात के मुस्लिम समुदाय के खौफ का अंदाजा लगाया जा सकता है। ऊपर से इलाके में भाईचारे की मिसाल देते हुए देते हुए मुस्लिम समाज के लीडर्स का शोभा यात्रा का जगह जगह स्वागत करना पब्लिसिटी स्टंट से ज्यादा पिछले साल हुए हमले का कवर अप लग रहा है।
वहीँ सरकार की तरफ से इस बार की शोभा यात्रा में सुरक्षा के जबरदस्त इंतजाम देखकर श्रद्धालुओं ने सरकार की जमकर तारीफ की। श्रद्धालुओं ने बताया कि पिछले साल के अनुभव के आधार पर इस बार यात्रिओं की संख्या थोड़ी कम जरूर हुई है लेकिन अगर उन्हें इस बात का पता होता कि उनकी सुरक्षा के ऐसे चाक चौबंद इंतजाम रहेंगे तो पिछली बार से ज्यादा श्रद्धालु आते। वहीँ दूसरी तरफ शोभा यात्रा में शामिल साधु संतों भी इस यात्रा के पूर्ण होने पर सरकार के सुरक्षा इंतजाम और स्थानीय हिन्दू समाज की सराहना की और मेवात में रह रहे हिन्दू समाज के मनोबल को बढ़ाते हुए उन्हें अपना आशीर्वाद दिया।
लेखक गौरव मिश्रा वरिष्ठ पत्रकार हैं।