बेरोजगार युवाओं पर सरकार की मेहरबानी बनाम बैंकों की मनमानी

अनुष्का सिंह (लखनऊ)

आम बजट में बेरोजगार युवाओं को एक बार फिर से झुनझुना पकड़ा दिया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मुद्रा योजना की लिमिट 10 लाख से बढ़ा कर 20 लाख कर दी है लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या बैंक सरकार की इस योजना को बेरोजगारों तक पहुँचने देंगे।

आपको बता दें कि मुद्रा लोन की शुरुआत केंद्र सरकार ने साल 2015 में की थी। इस योजना का उद्देश्य ये योजना सीधे तौर पर उन लोगों को लाभान्वित करना है, जो संसाधनों के अभाव में अपना नया व्यापार शुरू नहीं कर पाते हैं। योजना के तहत लाभार्थी को एक मुद्रा कार्ड मिलता है। मुद्रा कार्ड का उपयोग डेबिट कार्ड की तरह ही किया जाता है। इस कार्ड की सहायता से आप अपने व्यापार से जुडे़ खर्चों के लिए पैसे ले सकते हैं।

ये तो रहा मुद्रा योजना का विवरण, अब आते हैं इसकी असलियत पर, असल में ये लोन बिना किसी गारंटी के दिया जाता है, मसलन कोई गरीब व्यक्ति किसी प्रकार का व्यवसाय शुरू करना चाहता है और वो भारत देश का निवासी है तो वो अपने क्षेत्र के बैंक में जाकर मुद्रा लोन का आवेदन कर सकता है। सरकार के नियमों के मुताबिक उसे किसी प्रकार के गारंटी की आवश्यकता नहीं है मगर धरातल पर होता बिलकुल उल्टा है। बैंक के अधिकारी मुद्रा लोन के लिए भी सिक्युरिटी मांगते हैं और सिक्युरिटी ना होने पर आवेदनकर्ता को लोन देने से मना कर दिया जाता है।